12-CGLRC - 01. बंटवारा

... उनका बदन दो हिस्से में विभाजित हो गया ... लेकिन उम्मीदें दोनों हिस्सों को संभाले रहीं ... गांधी जी अपने कटे हुए शरीर को लेकर जिंदा रहे ... उनके विभाजित शरीर से रक्त बहता रहा ...
(कमलेश्वर जी की पुस्तक "कितने पाकिस्तान" से साभार)

बंटवारा


* कृषिभूमि का अविवादित बंटवारा ग्राम पंचायत करती है।
* सहखातेदारों के बीच विवाद/असहमति होने पर, बंटवारा तहसील न्यायालय में होता है।
* लिखित आवेदन तहसील न्यायालय या ग्राम पंचायत में करें। (विवादित-अविवादित के अनुसार)।
* आवेदन के साथ वर्तमान खसरा खतौनी की प्रति लगाएं।
* कृषिभूमि का 5 डिसमिल या 0.05 एकड़ या 20 आर्श या 0.020 हेक्टेयर से छोटा टुकड़ा नहीं किया जा सकता।
* 30 दिन का इश्तहार होगा। सहखातेदारों को लिखित नोटिस होगी।
* आदेश होने पर, बंटवारा शुल्क एक हिस्से का मात्र ₹100 लगेगा।
* आदेश होने पर, आवश्यकतानुसार हर हिस्सेदार को पटवारी किसान किताब (ऋण पुस्तिका) ₹10 का शुल्क लेकर देगा।
* पंचायत/तहसील का आदेश गलत लगे तो SDM को अपील होगी।

छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 के प्रावधान:
धारा 178: (1) कृषिभूमि का भूमिस्वामी तहसीलदार को आवेदन कर सकेगा।
परंतु हक का प्रश्न उठे तो तहसीलदार सिविल कोर्ट जाने के लिए 3 महीने का समय देगा।
(2) सहखातेदारों की सुनवाई के बाद तहसीलदार खाता बांट सकेगा।
धारा 178-क: (1) कोई भूमिस्वामी अपनी कृषिभूमि अपने विधिक वारिसानों में बांटने के लिए आवेदन कर सकता है।
(2) विधिक वारिसानों की सुनवाई के बाद तहसीलदार खाता बांट सकेगा।
 धारा 178-ख:  बटवारा की कार्यवाही  ई-नामांतरण पोर्टल एवं ई- राजस्व न्यायालय पर की जाएगी।

आनंद लें ... आनंद बक्शी जी एवं लता मंगेशकर जी के लफ्जों का ...

प्यासा ना रहे कोई, भूखा ना सोए कोई,
तन्हा ना हँसे कोई, तन्हा ना रोए कोई,
आँसुओं की धार को हम बाँट लें,
ज़िंदगी के प्यार को हम बाँट लें।

आइए ... बहार को हम बाँट लें।

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