विविध 05, RTI एवं सुप्रीम कोर्ट
सूचना का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट के मुखिया का ऑफिस RTI के दायरे में है -- माननीय सुप्रीम कोर्ट
भूतपूर्व मुख्य न्यायधीश केजी बालाकृष्णन जजों की सूचना RTI के तहत देने के खिलाफ थे। कहना था कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता बाधित होगी।
2010 में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता जज का विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि जनता का दिया हुआ उत्तरदायित्व है। RTI लागू हो।
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला चला। आखिरकार नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सही माना।
इस मामले में RTI एक्टिविस्ट श्री SC अग्रवाल और वकील श्री प्रशांत भूषण की मेहनत और दलील काबिले-तारीफ रही। जैसे:
सूचना देने में ना-नुकूर दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या जज दूसरे दुनिया में रहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट को अपने ही खिलाफ मामला नहीं सुनना चाहिए। (प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत)
न्यायिक स्वतंत्रता का मतलब शासन-प्रशासन से स्वतंत्रता है। न्यायपालिका जनता से स्वतंत्र नहीं है।
सूचना देने में ना-नुकूर दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या जज दूसरे दुनिया में रहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट को अपने ही खिलाफ मामला नहीं सुनना चाहिए। (प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत)
न्यायिक स्वतंत्रता का मतलब शासन-प्रशासन से स्वतंत्रता है। न्यायपालिका जनता से स्वतंत्र नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामला "जरूरत का सिद्धांत" के तहत सुना,
और RTI के पक्ष में आदेश देते हुए कहा:
जज कानून से ऊपर नहीं होते।
सूचना का अधिकार और निजता का अधिकार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। निजता के अधिकार को सूचना के अधिकार से संतुलित करना जरूरी है।
न्यायिक स्वतंत्रता और जवाबदेही एक साथ चलते हैं। पारदर्शिता न्यायिक स्वतंत्रता को कम नहीं करती।
और RTI के पक्ष में आदेश देते हुए कहा:
जज कानून से ऊपर नहीं होते।
सूचना का अधिकार और निजता का अधिकार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। निजता के अधिकार को सूचना के अधिकार से संतुलित करना जरूरी है।
न्यायिक स्वतंत्रता और जवाबदेही एक साथ चलते हैं। पारदर्शिता न्यायिक स्वतंत्रता को कम नहीं करती।
यतो धर्मस्ततो जयः
RTI के लिये यह भी नियम बनाया गया है कि सभी RTI और उसके जवाब को वेबसाइट पर डाला जाना चाहिए ताकि एक ही आवेदन की पुनरावृत्ति न हो और साथ ही इससे पारदर्शिता को बढावा मिलने के साथ साथ उसका दायरा भी बढ़ेगा।
ReplyDeleteपरंतु इसका पालन गिने चुने केंद्रीय विभाग ही कर रहे है, राज्य के विभाग और PIO तो कर ही नहीं रहे हैं , इस पर भी कार्य किया जाना नितांत आवश्यक हो गया है।