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Showing posts from November, 2019

विविध - 02. समयसीमा गारंटी

कुछ सेवाओं के लिए राज्य शासन ने समय-सीमा रखी है। [धारा 3] यदि प्रमाणपत्र, नकल आदि देने में देरी हो तो हर एक दिन के लेट के लिए ₹100 मिलेगा। [धारा 4(4)] हर विभाग में सक्षम अधिकारी है, जिसे हर्जाना के लिएआवेदन किया जा सकता है। [धारा 5] सक्षम अधिकारी पैसा न दिलाये, तो अपील अधिकारी को आवेदन किया जा सकता है। [धारा 7] इसे छत्तीसगढ़ लोकसेवा गारंटी अधिनियम, 2011 कहते हैं। [धारा1] जैसे: क्रमांक: कार्यालय: सेवा: समयसीमा: सेवा अधिकारी: सक्षम अधिकारी: अपीलीय अधिकारी 1, तहसील: खसरा नक्सा का नकल: 15 दिन: तहसीलदार: SDO: कलेक्टर। 2, तहसील: डुप्लीकेट किसान किताब: 90 दिन: तहसीलदार: SDO: कलेक्टर। 3, तहसील: आय प्रमाण पत्र: 30 दिन: तहसीलदार: SDO: कलेक्टर। 4, तहसील: निवास प्रमाण पत्र: 30 दिन: तहसीलदार: SDO: कलेक्टर। 5, तहसील: अस्थाई जाति प्रमाण पत्र: 30 दिन: तहसीलदार: SDO: कलेक्टर। 6, तहसील: स्थाई जाति प्रमाण पत्र: 30 दिन: SDO: कलेक्टर: कमिश्नर। ..... ..... * अब तक राजस्व विभाग की 22 सेवाएं समयसीमा के तहत, अधिसूचित की जा चुकी हैं. (उपयोगिता के अनुसार, सरल भाषा में, कानून पोस्ट कर रहा हूँ,...

04-CGLRC-RBC : आवेदन

राजस्व पुस्तक परिपत्र (RBC Revenue Book Circular) खंड 2 क्रमांक 1 कंडिका 4 (1) भू राजस्व संहिता के तहत आवेदन निम्नतम सक्षम न्यायालय द्वारा लिए जाएंगे। परंतु कलेक्टर द्वारा नियत करने पर जांच के लिए निम्नतर न्यायालय आवेदन ले सकेगा। (2) इस नियम का पालन न होने पर आवेदन वापस किया जाएगा। अर्थात, आवेदक को थोड़ा जागरूक होना चाहिए कि कौन-सा निर्णय देने के कौन-सा छोटा न्यायालय शक्तिमान है, अन्यथा आवेदन वापस होगा।  कंडिका 10  बहुत सुनने के बाद यदि संभव हो तो आदेश देने के लिए एक निश्चित तारीख नियत की जावे और आदेश पत्र में पक्षों या वकीलों के हस्ताक्षर इस बात के प्रमाण स्वरूप लिए जावे कि उन्हें निश्चित तारीख की सूचना दे दी गई है. जब मामला आदेशों के लिए बंद किया जावे तब आदेश 1 सप्ताह के भीतर ही दे दिए जाने चाहिए.   अर्थात, सुनवाई या पेशी में बहस समाप्त हो गई तो 1 हफ्ते के भीतर आदेश भी होगा. 

04-CGLRC - 01. राजस्व न्यायालय

छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 अध्याय 4 राजस्व अधिकारियों (ROs) तथा राजस्व न्यायालयों (RCs) की प्रक्रिया धारा 27 से धारा 43. धारा 27: RO अपने अधिकार क्षेत्र में कहीं भी जांच या सुनवाई करेगा, परंतु उपखंड अधिकारी पूरे जिले में कहीं भी जांच या सुनवाई करेगा। धारा 29: (1) यदि मंडल को उचित लगेगा तो वह कोई केस किसी एक RO से लेकर उसके समान या बड़े RO को दे देगा। (2) यदि आयुक्त को आवेदन मिलने पर उचित लगेगा तो वह कोई केस किसी एक RO से लेकर दूसरे समान या बड़े RO को दे देगा। धारा 32: न्याय के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए या न्यायालय की प्रक्रिया के दुरुपयोग को हटाने के लिए RC की अंतर्निहित शक्ति को संहिता की कोई धारा कम नहीं कर सकती। धारा 33: RO किसी व्यक्ति को पक्षकार के रूप में या साक्षी के रूप में साक्ष्य या दस्तावेज पेश करने हेतु समन/बुलावा/सूचना जारी कर सकेगा। धारा 34: जारी समन का पालन ना होने पर RO जेल वारंट या जमानती वारंट जारी कर सकेगा या प्रतिभूति ले सकेगा या ₹1000 तक जुर्माना ले सकेगा। धारा 35 (1) आवेदक विपक्षी को सूचना/समन हेतु शुल्क ना दे तो मामला खारिज किया जा सकेगा। ...

10-CGLRC - 01. सीमांकन

नक्शा और सीमांकन जमीन का पहला कागज यानि नक्शे से ही खसरा बनेगा और खसरे से बी1. * सीमांकन के लिए आवेदन तहसील न्यायालय में दिया जाएगा। * आवेदन के साथ भूमि का बी1/ खसरा व नक्शा की प्रति लगाना होगा। * सीमांकन के लिए शुल्क ₹50 प्रति खसरा होगी, अनुसूचित जाति एवं जनजाति का सीमांकन निशुल्क होगा। * आवेदन के 90 दिन के भीतर सीमांकन होगी। * सीमांकन तहसीलदार या RI की उपस्थिति में होगी। इसके लिए भूधारक एवं आसपास की भूमि के भूधारकों को उपस्थिति हेतु सूचित भी किया जाएगा। * सीमांकन के समय पंचनामा, फील्डबुक, नक्शा और सीमांकन रिपोर्ट बनाए जाएंगे। * सीमांकन के समय सीमाचिन्ह लगाए जाएंगे, जिन्हें नुकसान पहुंचाना दंडनीय होगा। * सीमांकन से असंतुष्ट व्यक्ति अपनी आपत्ति तहसीलदार को लिखेगा जिसकी सुनवाई करने के बाद सीमांकन पर तहसीलदार अंतिम आदेश लिखेगा। छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 के प्रावधान: धारा 107 हर ग्राम का एक नक्शा तैयार किया जाएगा। धारा 124 गांव की सीमाओं का स्थाई सीमाचिन्हों द्वारा सीमांकन किया जाएगा। प्रत्येक भूधारक इन सीमाचिन्ह की रक्षा और मरम्मत के लिए जिम्मेदार होगा। धारा 125 स...

09-CGLRC - 02. नामांतरण

भीगी-भीगी सड़कों पे मैं तेरा इंतज़ार करूँ, धीरे-धीरे दिल की जमीन को तेरे ही नाम करूँ ... नामांतरण यानि जमीन के खसरा(P-II)-खतौनी(B-I) में भूमिस्वामी का नाम बदलने की प्रक्रिया। * कृषि भूमि का अविवादित नामांतरण (मृत्यु आधारित एवं विक्रय आधारित) ग्राम पंचायत करती है। * कृषि भूमि का विवादित नामांतरण (किसी की आपत्ति-विवाद वाले मृत्यु/बिक्री आधारित तथा दानपत्र, वसीयत, गोदनामा, हिब्बानामा, हकत्यागनामा, वरिष्ठ कोर्ट आदेश आदि पर आधारित) तहसील न्यायालय में होता है। * लिखित आवेदन तहसील न्यायालय या ग्राम पंचायत में करें। (विवादित या अविवादित के अनुसार)। * आवेदन के साथ अधिकार के आधार के कागज और वर्तमान खसरा-खतौनी की प्रति लगाएं। * नामांतरण से सिर्फ रिकॉर्ड अपडेट होता है किसी का हक निर्मित या समाप्त नहीं होता। * कृषि भूमि का 5 डिसमिल या 0.05 एकड़ या 20 आर्श या 0.020 हेक्टेयर से छोटा टुकड़ा नहीं किया जा सकता, (धारा 70 व 98 के नियम)। अर्थात, किसी बड़े प्लाट में से 3 डिसमिल का बिक्रीनामा से नामांतरण नहीं हो सकता। * डाइवर्टेड/व्यपवर्तित भूमि का नामांतरण तहसीलदार करता है। पर ऐसी भूमि के दानपत...

09-CGLRC - 01. त्रुटिसुधार

प्रश्न: क्या 02 में 02 को जोड़ने से 05 हो सकता है? उत्तर: हाँ। प्रश्न: कैसे? उत्तर: गलती से। 😊 जमीन के अभिलेखों में कई तरह की गलती या त्रुटि सामान्य रूप से हो सकती है। यथा, नाम में गलती हो, पिता/पति का नाम गलत हो, पता/जाति गलत हो; खसरा/प्लाट नम्बर गलत/छूटा हो; रकबा/क्षेत्रफल गलत/कम/ज्यादा दर्ज हो; शासकीय जमीन पे किसी ने नाम चढ़वा लिया हो; जमीन का मद (जैसे गोचर मद, सड़क रास्ता मद, झाड़ जंगल मद, आदि) बदल दिया गया हो; नक्शा कटा न हो, गलत कटा हो; आदि आदि। तो ... छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 के प्रावधान: 115.  उपखंड अधिकारी स्वप्रेरणा से या व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर,...  भू-अभिलेखों में...  गलत या अशुद्ध प्रविष्टि को,... शुद्ध कर सकेगा. 117. जब तक गलत न साबित कर दिया जाए, भू-अभिलेख सही है। http://bhuiyan.cg.nic.in/ पर अपनी जमीन के खतौनी, खसरा और नक्शा देखें, आपको इन प्रावधानों की जरूरत महसूस हो सकती है।

12-CGLRC - 01. बंटवारा

... उनका बदन दो हिस्से में विभाजित हो गया ... लेकिन उम्मीदें दोनों हिस्सों को संभाले रहीं ... गांधी जी अपने कटे हुए शरीर को लेकर जिंदा रहे ... उनके विभाजित शरीर से रक्त बहता रहा ... ( कमलेश्वर जी की पुस्तक " कितने पाकिस्तान " से साभार) बंटवारा * कृषिभूमि का अविवादित बंटवारा ग्राम पंचायत करती है। * सहखातेदारों के बीच विवाद/असहमति होने पर, बंटवारा तहसील न्यायालय में होता है। * लिखित आवेदन तहसील न्यायालय या ग्राम पंचायत में करें। (विवादित-अविवादित के अनुसार)। * आवेदन के साथ वर्तमान खसरा खतौनी की प्रति लगाएं। * कृषिभूमि का 5 डिसमिल या 0.05 एकड़ या 20 आर्श या 0.020 हेक्टेयर से छोटा टुकड़ा नहीं किया जा सकता। * 30 दिन का इश्तहार होगा। सहखातेदारों को लिखित नोटिस होगी। * आदेश होने पर, बंटवारा शुल्क एक हिस्से का मात्र ₹100 लगेगा। * आदेश होने पर, आवश्यकतानुसार हर हिस्सेदार को पटवारी किसान किताब (ऋण पुस्तिका) ₹10 का शुल्क लेकर देगा। * पंचायत/तहसील का आदेश गलत लगे तो SDM को अपील होगी। छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 के प्रावधान: धारा 178: (1) कृषिभूमि का भूमिस्वामी तहसीलद...

12-CGLRC - 02. डायवर्सन

छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 धारा 172 भूमि का व्यपवर्तन यानि डायवर्सन (1) नगरीय क्षेत्र में या 2000 से ज्यादा जनसंख्या वाले गांव में भूमिस्वामी अपनी जमीन को कृषि/खेती से अलग काम के लिए सक्षम प्राधिकारी को डायवर्सन का आवेदन करेगा। सक्षम प्राधिकारी आवेदन पर 3 महीने तक हां या ना का आदेश नहीं करे, और आवेदक सक्षम प्राधिकारी को लिखित में याद दिलाए, और तब भी सक्षम प्राधिकारी और 6 महीने तक मौन रहे तो बिना किसी शर्त के डायवर्सन स्वीकृत मान लिया जाएगा। भूमि विकास योजना के तहत निर्धारित प्रयोजन के लिए डायवर्सन की सूचना ही काफी है, और अनुमति नहीं चाहिए। (2) सक्षम प्राधिकारी आवेदन निरस्त तभी करेगा जब डायवर्सन से लोक न्यूसेंस हो या भूमि स्वामी शर्तें मानने को राजी ना हो। (3) सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और सुविधा के लिए ही शर्तें लगाईं जाएंगी। (4) बिना अनुमति डायवर्सन करने पर अधिकतम ₹10,000 जुर्माना लगेगा। (5) शर्तों के उल्लंघन पर अधिकतम ₹1000 जुर्माना लगेगा, और उल्लंघन के 1 दिन पर अधिकतम ₹100 जुर्माना लगेगा। * लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत डायवर्सन की आवेदन  निपटाने की सम...

19-CGLRC - 01. प्रतिलिपि

नकल या प्रतिलिपि यानि...  जनता का कागज जनता को देना. तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा :) छ.ग. भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 256:  समस्त राजस्व अभिलेख, नक्शे तथा भू अभिलेख जनता के निरीक्षण के लिए खुले रहेंगे और उनकी प्रमाणित प्रतिलिपि उन सभी को मिलेगी, जो आवेदन करे। अर्थात राजू के जमीन के रिकार्ड श्याम भी ले सकता है और बाबूभाई भी देख सकता है। (इस वाक्य का आनंद लेने के लिए फिल्म हेराफेरी याद करें.) छत्तीसगढ़ राजस्व अभिलेख नियम, 1959 1. नाम 2. परिभाषा 3. सभी अभिलेख देखे जा सकते हैं, जब तक कोई लिखित में मना न करे। 4. कार्यालय में पड़ी फाइल उसके पक्षकार और वकील के द्वारा मुफ्त में देखी जा सकती है। किसी अन्य व्यक्ति के लिए शुल्क लगेगा। 8. निरीक्षण शुल्क पहले घंटे का ₹10 और उसके बाद ₹5 प्रति घंटा लगेगा। 22. 360 शब्द तक के नकल के लिए ₹10 लगेगा। (हालांकि अब नकल लिख कर नहीं बल्कि फोटोकॉपी करके दी जाती है). 32. नकल शाखा में यह पंजियां रखी जाएंगी- आवेदन पंजी, लेखा पुस्तक, विवरणात्मक लेखा पुस्तक, दुहरे पत्रों वाली पावती पुस्तक, कोषालय जमा पुस्तिका क और ख, अव्यय अग्रिमों की सू...

00-CGLRC: अनुक्रमणिका

छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959: अनुक्रमणिका (index) अध्याय 1 प्रारंभिक अध्याय 2 राजस्व मंडल (रेेवेन्यू बोर्ड) अध्याय 3 राजस्व पदाधिकारी, उनके वर्ग तथा शक्तियां अध्याय 4 राजस्व पदाधिकारियों तथा राजस्व न्यायालयों की प्रक्रिया अध्याय 5 अपील, पुनरीक्षण तथा पुनर्विलोकन अध्याय 6 भूमि तथा भू-राजस्व अध्याय 7 भू-सर्वेक्षण तथा भू-राजस्व निर्धारण अध्याय 8 नगरीय क्षेत्रों में भूमि का निर्धारण तथा पुनर्निर्धारण अध्याय 9 भू-अभिलेख अध्याय 10 सीमाएं तथा सीमा-चिन्ह, सर्वेक्षण-चिन्ह अध्याय 11 भू-राजस्व की उगाही/वसूली अध्याय 12 भू-धारी अध्याय 13 सरकारी पट्टेदार तथा सेवा-भूमि अध्याय 14 **** (2022 से यह अध्याय विलोपित है) अध्याय 15 जलोढ़ तथा जल-प्लावन अध्याय 16 खातों की चकबंदी अध्याय 17 ग्राम अधिकारी अध्याय 18 आबादी तथा दखल-रहित भूमि में और उसकी उपज में अधिकार अध्याय 19 प्रकीर्ण अनुसूची 1  राजस्व अधिकारियों तथा राजस्व न्यायालयों की प्रक्रिया के नियम अनुसूची 2 निरसित विधियों की सूची  अनुसूची 3 विधि का नाम  अनुसूची 4 छूट प्राप्त प्राधिकरण या निकाय

02-CGLRC - 01 राजस्व मंडल

छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 अध्याय 2: राजस्व मंडल (Revenue Board) धारा 3 से धारा 10. धारा 3 राजस्व मंडल का गठन (1) छत्तीसगढ़ के लिए एक राजस्व मंडल होगा जिसका एक अध्यक्ष होगा। (2)  राज्य सरकार, अध्यक्ष के अलावा इतने सदस्यों की नियुक्ति कर सकेगी, जितनी की वह ठीक समझें.  धारा 7  मंडल की अधिकारिता (1)  मंडल ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जो इस संहिता द्वारा या इस संहिता के अधीन उसे प्रदान की गई हैं ... (2)  राज्य सरकार, ... अधिसूचना द्वारा ऐसी अतिरिक्त शक्तियां प्रदत्त कर सकेगी या ऐसे अतिरिक्त कृत्य सौंप सकेगी...   धारा 8 मंडल की अधीक्षण संबंधी शक्तियां  मंडल को ऐसे समस्त मामलों के संबंध में,  जो उसकी अपील या  पुनरीक्षण संबंधी अधिकारिता के अधीन है, समस्त पदाधिकारियों पर उस सीमा तक अधीक्षण की शक्ति होगी... * छत्तीसगढ़ के रेवेन्यू बोर्ड (राजस्व मंडल) की वेबसाइट यहां देखें www.bor.cg.nic.in

01-CGLRC - 2. परिभाषाएं

छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 अध्याय 1: प्रारंभिक (धारा 1 से धारा 2) धारा 2 में परिभाषाएं हैं जैसे 2(1)(ग) "कृषि वर्ष" से अभिप्रेत है 1 जुलाई या ऐसी अन्य तारीख को जिसे राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा नियत करे प्रारंभ होने वाला वर्ष। 2(1)(द) "मान्यताप्राप्त अभिकर्ता" से संहिता के अधीन कार्यवाही के पक्षकार के संदर्भ में अभिप्रेत है (एक) वह व्यक्ति जिसे ऐसे पक्ष कारण ऐसी कार्यवाहियों में उसकी ओर से उपसंजात होने तथा आवेदन करने एवं अन्य कार्य करने के लिए मुख्तारनामा के अधीन प्राधिकृत किया है और (दो) वह व्यक्ति जिसे ऐसे पक्षकार ने ऐसी कार्यवाहियों में उसकी ओर से उपसंजात होने के लिए लिखित में प्राधिकृत किया है। 2(1)(फ) "राजस्व वर्ष" से अभिप्रेत है वह वर्ष जो ऐसी तारीख से प्रारंभ होता है जिसे राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा किसी विशेष स्थानीय क्षेत्र के बारे में नियत करे। अर्थात, कृषि वर्ष 1 जुलाई से शुरू होता है। राजस्व वर्ष 1 अक्टूबर से शुरू होता है। राजस्व न्यायालयों में किसी पक्षकार की ओर से कोई भी अन्य व्यक्ति उस पक्षकार की लिखित सहमति से उपसंजात/उपस्थित...

05-CGLRC - 01.अपील, पुनरीक्षण तथा पुनर्विलोकन

छत्तीसगढ़ भू- राजस्व   संहिता,  1959 अध्याय 5 अपील ,  पुनरीक्षण  तथा  पुनर्विलोकन धारा 44 से धारा 56. धारा 44: अपील तहसीलदार या नायब/अतिरिक्त तहसीलदार की उपखंड अधिकारी को, उपखंड अधिकारी की कलेक्टर को, कलेक्टर की आयुक्त को एवं आयुक्त की मंडल को होगी। द्वितीय अपील अर्थात पहली अपील के आदेश की अपील उपखंड अधिकारी या कलेक्टर की आयुक्त होगी एवं आयुक्त की मंडल को होगी। धारा 47: आदेश की तारीख से 45 दिन के भीतर उपखंड अधिकारी या कलेक्टर को, 60 दिन के भीतर आयुक्त को एवं 90 दिन के भीतर मंडल को अपील होगी। धारा 48: अपील, पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण के आवेदन के साथ आपत्तिग्रस्त आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि होगी। धारा 49: अपील प्राधिकारी पक्षकारों को सुनने के बाद प्रश्नगत आदेश को पुष्टि कर सकेगा या फेरफारित कर सकेगा या उलट सकेगा; आवश्यकतानुसार अतिरिक्त साक्ष्य ले सकेगा। परंतु मामले के निपटारे के लिए इसे अधीनस्थ RO को फिर से नहीं भेजेगा। धारा 50: मंडल या आयुक्त या कलेक्टर अपने अधीनस्थ RC के आदेश का पुनरीक्षण स्वप्रेरणा से या पक्षकार के आवेदन पर कर सकेगा। आयुक्त या क...

विविध 05, RTI एवं सुप्रीम कोर्ट

सूचना का अधिकार सुप्रीम कोर्ट के मुखिया का ऑफिस  RTI  के दायरे में है -- माननीय सुप्रीम कोर्ट भूतपूर्व मुख्य न्यायधीश केजी बालाकृष्णन जजों की सूचना RTI के तहत देने के खिलाफ थे। कहना था कि इससे  न्यायपालिका  की स्वतंत्रता बाधित होगी। 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता जज का विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि जनता का दिया हुआ  उत्तरदायित्व  है। RTI लागू हो। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला चला। आखिरकार नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सही माना। इस मामले में RTI एक्टिविस्ट श्री SC अग्रवाल और वकील श्री प्रशांत भूषण की मेहनत और दलील काबिले-तारीफ रही। जैसे: सूचना देने में ना-नुकूर दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या जज दूसरे दुनिया में रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट को अपने ही खिलाफ मामला नहीं सुनना चाहिए। (प्राकृतिक न्याय का  सिद्धांत ) न्यायिक स्वतंत्रता का मतलब शासन-प्रशासन से स्वतंत्रता है। न्यायपालिका  जनता  से स्वतंत्र नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मामला "जरूरत का सिद्धांत" के तहत सुना, और RTI ...