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09-CGLRC - 01. त्रुटिसुधार

प्रश्न: क्या 02 में 02 को जोड़ने से 05 हो सकता है? उत्तर: हाँ। प्रश्न: कैसे? उत्तर: गलती से। 😊 जमीन के अभिलेखों में कई तरह की गलती या त्रुटि सामान्य रूप से हो सकती है। यथा, नाम में गलती हो, पिता/पति का नाम गलत हो, पता/जाति गलत हो; खसरा/प्लाट नम्बर गलत/छूटा हो; रकबा/क्षेत्रफल गलत/कम/ज्यादा दर्ज हो; शासकीय जमीन पे किसी ने नाम चढ़वा लिया हो; जमीन का मद (जैसे गोचर मद, सड़क रास्ता मद, झाड़ जंगल मद, आदि) बदल दिया गया हो; नक्शा कटा न हो, गलत कटा हो; आदि आदि। तो ... छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 के प्रावधान: 115.  उपखंड अधिकारी स्वप्रेरणा से या व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर,...  भू-अभिलेखों में...  गलत या अशुद्ध प्रविष्टि को,... शुद्ध कर सकेगा. 117. जब तक गलत न साबित कर दिया जाए, भू-अभिलेख सही है। http://bhuiyan.cg.nic.in/ पर अपनी जमीन के खतौनी, खसरा और नक्शा देखें, आपको इन प्रावधानों की जरूरत महसूस हो सकती है।

04-CGLRC-RBC राजस्व न्यायालय का प्रस्तुतकार

राजस्व पुस्तक परिपत्र (RBC) खंड 2 क्रमांक 1 की कंडिका 22: राजस्व न्यायालय का प्रस्तुतकार ये पंजियाँ रखेगा: 1, राजस्व मामलों की पंजी 2, अपील/रिवीजन/रिव्यू की पंजी 3, जुर्माना पंजी 4, आदेशिका पंजी 5, कैश रिसिप्ट पंजी 6, अभिलेख पासबुक 7, राजस्व अभिलेख निरीक्षण पंजी 8, निपटे अभिलेख को रिकॉर्ड रूम भेजने हेतु रसीद बुक 9, कैशबुक *कैश=रकम=रोकड़ *बुक=बही=पुस्तक *पंजी=रजिस्टर *अभिलेख=रिकॉर्ड * प्रस्तुतकार=वाचक/रीडर=बड़ेबाबू/लिपिक *राजस्व न्यायालय= तहसीलदार/अनुविभागीयअधिकारी/कलेक्टर/संभागायुक्त के कोर्ट (अतिरिक्त/नायब/अपर/संयुक्त/सहायक भी). Epilogue: सरल करने की कोशिश है, सजेसन्स आर वेलकम।

विविध 03, जाति_प्रमाणपत्र

छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) अधिनियम, 2013 धारा 1 कानून का नाम धारा 2 परिभाषाएं धारा 3 आवेदन किया जाना धारा 4 सक्षम प्राधिकारी आवेदन निरस्त करेगा या प्रमाण पत्र जारी करेगा धारा 5 सक्षम प्राधिकारी के आदेश की 1 महीने के भीतर अपील होगी और अपीलीय प्राधिकारी 3 महीने के भीतर आदेश देगा धारा 6 जारी प्रमाण पत्रों का सत्यापन जिला स्तरीय प्रमाणपत्र सत्यापन समिति करेगी और गलत पाए जाने पर उच्च स्तरीय प्रमाणपत्र छानबीन समिति को केस भेजेगी धारा 7 उच्च स्तरीय प्रमाणपत्र छानबीन समिति जांच करेगी धारा 8 जांच पश्चात त्रुटिपूर्ण या कपटपूर्ण जारी प्रमाणपत्र को निरस्त किया जाएगा धारा 9 निरस्त प्रमाण पत्र से अर्जित नियुक्ति/सम्मान/पद/उपचार समाप्त किया जाएगा एवं वित्तीय लाभ वापस वसूला जाएगा धारा 10 अवैध हितग्राही 3 माह से 2 साल के कारावास और ₹ 2,000 से ₹ 20,000 के जुर्माने के दंड का पात्र होगा धारा 11 अपराध संज्ञेय और अजमानतीय होगा धारा 12 निरस्त जाति प्रमाणपत्र को साशय जारी करने वाला बराबर के दंड का पात्र होगा धारा...

विविध - 01, व्यस्कता

#अठारह सिर्फ 03 धाराओं वाले इस छोटे से #कानून को कृपया पढ़कर उत्तर दें। भारतीय व्यस्कता #अधिनियम 1875 धारा 1: कानून का नाम, विस्तार और प्रारंभ धारा 2: कानून का निष्प्रभाव धारा 3: (1) भारतीय निवासी 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर व्यस्क होगा। (2) जन्म वाले दिन को पूरा दिन गिना जाएगा अर्थात 18वीं जन्मदिन के पहले ही क्षण वह व्यस्क हो जाएगा। प्रश्न: यदि "Mr U" का जन्म 29 फरवरी 2004 की शाम 5 बजे हुआ है, तो 2022 के किस क्षण वह व्यस्कता प्राप्त करेगा? A, 28 फरवरी के पहले क्षण B, 28 फरवरी के शाम 5 बजे C, 01 मार्च के पहले क्षण D, 01 मार्च के शाम 5 बजे E, अन्य

03-CGLRC - 01 राजस्व अधिकारी

छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 अध्याय 3: राजस्व अधिकारी, उनके वर्ग तथा उनकी शक्तियां धारा 11 से धारा 26. धारा 11:  राजस्व पदाधिकारी राजस्व  पदाधिकारियों के निम्नलिखित वर्ग होंगे,  अर्थात आयुक्त भू-अभिलेख  अपर आयुक्त भू-अभिलेख  आयुक्त  अपर आयुक्त  कलेक्टर एवं जिला सर्वेक्षण अधिकारी अपर कलेक्टर उपखंड अधिकारी / अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) एवं उप सर्वेक्षण अधिकारी सहायक कलेक्टर  संयुक्त कलेक्टर  डिप्टी कलेक्टर  तहसीलदार एवं सहायक सर्वेक्षण अधिकारी  अपर तहसीलदार अतिरिक्त तहसीलदार  भू-अभिलेख अधीक्षक; नायब तहसीलदार; सहायक भू-अभिलेख अधीक्षक।  धारा 12 राजस्व अधिकारियों पर नियंत्रण - (1) समस्त राजस्व अधिकारी राज्य सरकार के अधीनस्थ होंगे धारा 24(1): राज्य सरकार वे शक्तियां, जो इस संहिता द्वारा या इस संहिता के अधीन किसी राजस्व अधिकारी को प्रदत्त की गई हैं, किसी व्यक्ति को प्रदत्त कर सकेगी।

01-CGLRC - 01 नाम और प्रभाव

 छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 अध्याय 1: प्रारंभिक (धारा 1 से धारा 2) धारा 1  संक्षिप्त नाम, विस्तार तथा प्रारंभ (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 है (2) इसका विस्तार संपूर्ण छत्तीसगढ़ पर है  किंतु इस संहिता में अंतर्विष्ट कोई भी बात भू-राजस्व के भुगतान के लिए भूमि के दायित्व, भूमि के उपयोग के प्रति निर्देश से भू-राजस्व के निर्धारण, भू-राजस्व की उगाही से संबंधित उपबंधों को और उनसे आनुषंगिक समस्त उपबंधों को छोड़कर, ऐसे क्षेत्रों को लागू नहीं होगी जिन्हें भारतीय वन अधिनियम, 1927 (1927 का सं 16) के अधीन समय-समय पर आरक्षित या संरक्षित वनों के रूप में गठित किया जाए, परंतु इस संहिता के पूर्वोक्त उपबंध ऐसे क्षेत्रों में, धारा 59 में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों में से एक या अधिक प्रयोजनों के लिए भूमि के उपयोग के प्रति निर्देश से लागू होंगे. (3) यह संहिता ऐसी तारीख को प्रेरित होगी, जिसे राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा नियत करे.  अर्थात, किसी भी अन्य कानून की तरह इस संहिता की पहली धारा में इसका नाम बताया गया है.  बताया गया है कि यह कानून पूरे छत्त...

विविध 04, RTI

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 धारा 1 नाम एवं लागू होना धारा 2 परिभाषाएं धारा 3 हर नागरिक को सूचना का अधिकार होगा धारा 4 हर लोक प्राधिकारी सूचना को सुगम बनाएगा धारा 5 जन सूचना अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे धारा 6 कोई व्यक्ति आवेदन कर सकेगा धारा 7 30 दिन के भीतर सूचना दी जाएगी या आवेदन नामंजूर किया जाएगा धारा 8 कुछ सूचनाएं देने की बाध्यता नहीं होगी धारा 9 कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं किया जाएगा धारा 10 जिस भाग तक सूचना दी जा सकेगी, दी जाएगी धारा 11 पर(गैर) व्यक्ति की गोपनीय सूचनाएं नहीं दी जाएंगी धारा 12 13 14 केंद्रीय सूचना आयोग धारा 15 16 17 राज्य सूचना आयोग धारा 18 सूचना आयोग शिकायत मिलने पर सिविल कोर्ट की तरह जांच कर सकेगा धारा 19 जन सूचना अधिकारी  के निर्णय के खिलाफ 30 दिन के भीतर अपील हो सकेगी, सूचना आयोग को दूसरी अपील 90 दिन के भीतर होगी धारा 20 सूचना आयोग ₹250 प्रतिदिन (अधिकतम ₹25000) का जुर्माना एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश कर सकेगा धारा 21 सद्भाव से किए गए कार्य के विरुद्ध वाद नहीं होगी धारा 22 यह अधिनियम शासकीय गुप्तबात अधिनियम, 1923 से ज्यादा प्रभाव...

विविध - 02. समयसीमा गारंटी

कुछ सेवाओं के लिए राज्य शासन ने समय-सीमा रखी है। [धारा 3] यदि प्रमाणपत्र, नकल आदि देने में देरी हो तो हर एक दिन के लेट के लिए ₹100 मिलेगा। [धारा 4(4)] हर विभाग में सक्षम अधिकारी है, जिसे हर्जाना के लिएआवेदन किया जा सकता है। [धारा 5] सक्षम अधिकारी पैसा न दिलाये, तो अपील अधिकारी को आवेदन किया जा सकता है। [धारा 7] इसे छत्तीसगढ़ लोकसेवा गारंटी अधिनियम, 2011 कहते हैं। [धारा1] जैसे: क्रमांक: कार्यालय: सेवा: समयसीमा: सेवा अधिकारी: सक्षम अधिकारी: अपीलीय अधिकारी 1, तहसील: खसरा नक्सा का नकल: 15 दिन: तहसीलदार: SDO: कलेक्टर। 2, तहसील: डुप्लीकेट किसान किताब: 90 दिन: तहसीलदार: SDO: कलेक्टर। 3, तहसील: आय प्रमाण पत्र: 30 दिन: तहसीलदार: SDO: कलेक्टर। 4, तहसील: निवास प्रमाण पत्र: 30 दिन: तहसीलदार: SDO: कलेक्टर। 5, तहसील: अस्थाई जाति प्रमाण पत्र: 30 दिन: तहसीलदार: SDO: कलेक्टर। 6, तहसील: स्थाई जाति प्रमाण पत्र: 30 दिन: SDO: कलेक्टर: कमिश्नर। ..... ..... * अब तक राजस्व विभाग की 22 सेवाएं समयसीमा के तहत, अधिसूचित की जा चुकी हैं. (उपयोगिता के अनुसार, सरल भाषा में, कानून पोस्ट कर रहा हूँ,...

04-CGLRC-RBC : आवेदन

राजस्व पुस्तक परिपत्र (RBC Revenue Book Circular) खंड 2 क्रमांक 1 कंडिका 4 (1) भू राजस्व संहिता के तहत आवेदन निम्नतम सक्षम न्यायालय द्वारा लिए जाएंगे। परंतु कलेक्टर द्वारा नियत करने पर जांच के लिए निम्नतर न्यायालय आवेदन ले सकेगा। (2) इस नियम का पालन न होने पर आवेदन वापस किया जाएगा। अर्थात, आवेदक को थोड़ा जागरूक होना चाहिए कि कौन-सा निर्णय देने के कौन-सा छोटा न्यायालय शक्तिमान है, अन्यथा आवेदन वापस होगा।  कंडिका 10  बहुत सुनने के बाद यदि संभव हो तो आदेश देने के लिए एक निश्चित तारीख नियत की जावे और आदेश पत्र में पक्षों या वकीलों के हस्ताक्षर इस बात के प्रमाण स्वरूप लिए जावे कि उन्हें निश्चित तारीख की सूचना दे दी गई है. जब मामला आदेशों के लिए बंद किया जावे तब आदेश 1 सप्ताह के भीतर ही दे दिए जाने चाहिए.   अर्थात, सुनवाई या पेशी में बहस समाप्त हो गई तो 1 हफ्ते के भीतर आदेश भी होगा. 

04-CGLRC - 01. राजस्व न्यायालय

छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 अध्याय 4 राजस्व अधिकारियों (ROs) तथा राजस्व न्यायालयों (RCs) की प्रक्रिया धारा 27 से धारा 43. धारा 27: RO अपने अधिकार क्षेत्र में कहीं भी जांच या सुनवाई करेगा, परंतु उपखंड अधिकारी पूरे जिले में कहीं भी जांच या सुनवाई करेगा। धारा 29: (1) यदि मंडल को उचित लगेगा तो वह कोई केस किसी एक RO से लेकर उसके समान या बड़े RO को दे देगा। (2) यदि आयुक्त को आवेदन मिलने पर उचित लगेगा तो वह कोई केस किसी एक RO से लेकर दूसरे समान या बड़े RO को दे देगा। धारा 32: न्याय के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए या न्यायालय की प्रक्रिया के दुरुपयोग को हटाने के लिए RC की अंतर्निहित शक्ति को संहिता की कोई धारा कम नहीं कर सकती। धारा 33: RO किसी व्यक्ति को पक्षकार के रूप में या साक्षी के रूप में साक्ष्य या दस्तावेज पेश करने हेतु समन/बुलावा/सूचना जारी कर सकेगा। धारा 34: जारी समन का पालन ना होने पर RO जेल वारंट या जमानती वारंट जारी कर सकेगा या प्रतिभूति ले सकेगा या ₹1000 तक जुर्माना ले सकेगा। धारा 35 (1) आवेदक विपक्षी को सूचना/समन हेतु शुल्क ना दे तो मामला खारिज किया जा सकेगा। ...

10-CGLRC - 01. सीमांकन

नक्शा और सीमांकन जमीन का पहला कागज यानि नक्शे से ही खसरा बनेगा और खसरे से बी1. * सीमांकन के लिए आवेदन तहसील न्यायालय में दिया जाएगा। * आवेदन के साथ भूमि का बी1/ खसरा व नक्शा की प्रति लगाना होगा। * सीमांकन के लिए शुल्क ₹50 प्रति खसरा होगी, अनुसूचित जाति एवं जनजाति का सीमांकन निशुल्क होगा। * आवेदन के 90 दिन के भीतर सीमांकन होगी। * सीमांकन तहसीलदार या RI की उपस्थिति में होगी। इसके लिए भूधारक एवं आसपास की भूमि के भूधारकों को उपस्थिति हेतु सूचित भी किया जाएगा। * सीमांकन के समय पंचनामा, फील्डबुक, नक्शा और सीमांकन रिपोर्ट बनाए जाएंगे। * सीमांकन के समय सीमाचिन्ह लगाए जाएंगे, जिन्हें नुकसान पहुंचाना दंडनीय होगा। * सीमांकन से असंतुष्ट व्यक्ति अपनी आपत्ति तहसीलदार को लिखेगा जिसकी सुनवाई करने के बाद सीमांकन पर तहसीलदार अंतिम आदेश लिखेगा। छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 के प्रावधान: धारा 107 हर ग्राम का एक नक्शा तैयार किया जाएगा। धारा 124 गांव की सीमाओं का स्थाई सीमाचिन्हों द्वारा सीमांकन किया जाएगा। प्रत्येक भूधारक इन सीमाचिन्ह की रक्षा और मरम्मत के लिए जिम्मेदार होगा। धारा 125 स...

09-CGLRC - 02. नामांतरण

भीगी-भीगी सड़कों पे मैं तेरा इंतज़ार करूँ, धीरे-धीरे दिल की जमीन को तेरे ही नाम करूँ ... नामांतरण यानि जमीन के खसरा(P-II)-खतौनी(B-I) में भूमिस्वामी का नाम बदलने की प्रक्रिया। * कृषि भूमि का अविवादित नामांतरण (मृत्यु आधारित एवं विक्रय आधारित) ग्राम पंचायत करती है। * कृषि भूमि का विवादित नामांतरण (किसी की आपत्ति-विवाद वाले मृत्यु/बिक्री आधारित तथा दानपत्र, वसीयत, गोदनामा, हिब्बानामा, हकत्यागनामा, वरिष्ठ कोर्ट आदेश आदि पर आधारित) तहसील न्यायालय में होता है। * लिखित आवेदन तहसील न्यायालय या ग्राम पंचायत में करें। (विवादित या अविवादित के अनुसार)। * आवेदन के साथ अधिकार के आधार के कागज और वर्तमान खसरा-खतौनी की प्रति लगाएं। * नामांतरण से सिर्फ रिकॉर्ड अपडेट होता है किसी का हक निर्मित या समाप्त नहीं होता। * कृषि भूमि का 5 डिसमिल या 0.05 एकड़ या 20 आर्श या 0.020 हेक्टेयर से छोटा टुकड़ा नहीं किया जा सकता, (धारा 70 व 98 के नियम)। अर्थात, किसी बड़े प्लाट में से 3 डिसमिल का बिक्रीनामा से नामांतरण नहीं हो सकता। * डाइवर्टेड/व्यपवर्तित भूमि का नामांतरण तहसीलदार करता है। पर ऐसी भूमि के दानपत...

12-CGLRC - 01. बंटवारा

... उनका बदन दो हिस्से में विभाजित हो गया ... लेकिन उम्मीदें दोनों हिस्सों को संभाले रहीं ... गांधी जी अपने कटे हुए शरीर को लेकर जिंदा रहे ... उनके विभाजित शरीर से रक्त बहता रहा ... ( कमलेश्वर जी की पुस्तक " कितने पाकिस्तान " से साभार) बंटवारा * कृषिभूमि का अविवादित बंटवारा ग्राम पंचायत करती है। * सहखातेदारों के बीच विवाद/असहमति होने पर, बंटवारा तहसील न्यायालय में होता है। * लिखित आवेदन तहसील न्यायालय या ग्राम पंचायत में करें। (विवादित-अविवादित के अनुसार)। * आवेदन के साथ वर्तमान खसरा खतौनी की प्रति लगाएं। * कृषिभूमि का 5 डिसमिल या 0.05 एकड़ या 20 आर्श या 0.020 हेक्टेयर से छोटा टुकड़ा नहीं किया जा सकता। * 30 दिन का इश्तहार होगा। सहखातेदारों को लिखित नोटिस होगी। * आदेश होने पर, बंटवारा शुल्क एक हिस्से का मात्र ₹100 लगेगा। * आदेश होने पर, आवश्यकतानुसार हर हिस्सेदार को पटवारी किसान किताब (ऋण पुस्तिका) ₹10 का शुल्क लेकर देगा। * पंचायत/तहसील का आदेश गलत लगे तो SDM को अपील होगी। छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 के प्रावधान: धारा 178: (1) कृषिभूमि का भूमिस्वामी तहसीलद...

12-CGLRC - 02. डायवर्सन

छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 धारा 172 भूमि का व्यपवर्तन यानि डायवर्सन (1) नगरीय क्षेत्र में या 2000 से ज्यादा जनसंख्या वाले गांव में भूमिस्वामी अपनी जमीन को कृषि/खेती से अलग काम के लिए सक्षम प्राधिकारी को डायवर्सन का आवेदन करेगा। सक्षम प्राधिकारी आवेदन पर 3 महीने तक हां या ना का आदेश नहीं करे, और आवेदक सक्षम प्राधिकारी को लिखित में याद दिलाए, और तब भी सक्षम प्राधिकारी और 6 महीने तक मौन रहे तो बिना किसी शर्त के डायवर्सन स्वीकृत मान लिया जाएगा। भूमि विकास योजना के तहत निर्धारित प्रयोजन के लिए डायवर्सन की सूचना ही काफी है, और अनुमति नहीं चाहिए। (2) सक्षम प्राधिकारी आवेदन निरस्त तभी करेगा जब डायवर्सन से लोक न्यूसेंस हो या भूमि स्वामी शर्तें मानने को राजी ना हो। (3) सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और सुविधा के लिए ही शर्तें लगाईं जाएंगी। (4) बिना अनुमति डायवर्सन करने पर अधिकतम ₹10,000 जुर्माना लगेगा। (5) शर्तों के उल्लंघन पर अधिकतम ₹1000 जुर्माना लगेगा, और उल्लंघन के 1 दिन पर अधिकतम ₹100 जुर्माना लगेगा। * लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत डायवर्सन की आवेदन  निपटाने की सम...

19-CGLRC - 01. प्रतिलिपि

नकल या प्रतिलिपि यानि...  जनता का कागज जनता को देना. तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा :) छ.ग. भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 256:  समस्त राजस्व अभिलेख, नक्शे तथा भू अभिलेख जनता के निरीक्षण के लिए खुले रहेंगे और उनकी प्रमाणित प्रतिलिपि उन सभी को मिलेगी, जो आवेदन करे। अर्थात राजू के जमीन के रिकार्ड श्याम भी ले सकता है और बाबूभाई भी देख सकता है। (इस वाक्य का आनंद लेने के लिए फिल्म हेराफेरी याद करें.) छत्तीसगढ़ राजस्व अभिलेख नियम, 1959 1. नाम 2. परिभाषा 3. सभी अभिलेख देखे जा सकते हैं, जब तक कोई लिखित में मना न करे। 4. कार्यालय में पड़ी फाइल उसके पक्षकार और वकील के द्वारा मुफ्त में देखी जा सकती है। किसी अन्य व्यक्ति के लिए शुल्क लगेगा। 8. निरीक्षण शुल्क पहले घंटे का ₹10 और उसके बाद ₹5 प्रति घंटा लगेगा। 22. 360 शब्द तक के नकल के लिए ₹10 लगेगा। (हालांकि अब नकल लिख कर नहीं बल्कि फोटोकॉपी करके दी जाती है). 32. नकल शाखा में यह पंजियां रखी जाएंगी- आवेदन पंजी, लेखा पुस्तक, विवरणात्मक लेखा पुस्तक, दुहरे पत्रों वाली पावती पुस्तक, कोषालय जमा पुस्तिका क और ख, अव्यय अग्रिमों की सू...